माँ का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है जो नि:स्वार्थ भाव से अपने बच्चों के लिए जीती है। बच्चों की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी और उनके गम में अपने गम देखती है। हर एक रिश्ते में स्वार्थ होता है कहीं न कहीं, जिसके लिए हम उससे मिलने वाले सुख को याद करके रोते है। पर माँ का रिश्ता ऐसा होता है के हम बस माँ को ही याद करते है बिना किसी वजह !!! और वो बिना वजह हर पल तैयार रहती है, बस हमारी आहट सुनने को !! मरते हुए भी उसको अपने बच्चों के चिंता होती है, अपनी नहीं!! आज से ठीक 1 साल पहले एक माँ ये दुनिया छोड़ कर चली गई, जिसे मैं बहुत प्यार करती हूँ !! जिसे मैंने कभी देखा नहीं, कभी मिली नहीं, बात भी नहीं की कभी . दरअसल वो मेरी माँ नहीं है, पर मेरे लिए माँ से कम नहीं है !!
उन्ही के बारे में कुछ लिख रही हूँ :--
ना देखा कभी आपको,
ना मिलने का सबब हुआ !
दो बातें भी ना कर पाई,
फिर भी आपसे प्यार है ,
बेशक माँ नहीं है आप मेरी,
पर मेरे लिए मेरी माँ से कम नहीं है !!
जब जूझ रहे थे आप बीमारी से,
अस्पताल में अपने कोमा से !
चल रहा था सिलसिला हर तरफ दुआओं से ,
मांग रही थी ज़िन्दगी आपकी रब और पैगम्बर से !
पर कमी रह गई, मेरी इन दुआओं में,
जो छोड़ चली गई हमें इस दुनिया से !!
इस बात से भर गयी मेरी आँखें आंसुओं से,
बेशक माँ नहीं है आप मेरी,
पर मेरे लिए मेरी माँ से कम नहीं है !!
ना जाने उन दिनों सन्नाटे से एक आवाज़ आई ,
शायद आपकी मेरे पास आने की आहट आई !
ऐसा लगा आप मुझसे आखिरी पल में कुछ कहने आई !
हक़ से मुझ पे अपना एक हक़ जताने आई और कहती गई -
मुझे इस जहान को अब छोड़ जाना है,
पर एक वादा अब तुझे मुझ से निभाना है !
तू दोस्त है मेरे बहादुर बेटे की,
तो मेरा हक़ से तुझे ये कहना है!
भीड़ में भी वो तन्हा है, न जाहिर करेगा कभी !
ऐसा थोड़ा कमला, थोड़ा सियाना है!
तो देती हूँ अपने एहसास तुझे,
क्यूंकि बेशक माँ नहीं हूँ मैं तेरी,
पर तेरे लिए तेरी माँ से कम नहीं हूँ !!
उनकी इस चिट्ठी को, हुकम रब का माना है और ....
न है उसे जरुरत मेरे किसी सहारे की ,
फिर भी न छोड़ा है उसका साथ कभी,
हर सुख दुःख में उसके साथ चली,
न जाने दूंगी उसके चेहरे से ये मुस्कान कभी !!
एक माँ ने मुझे जन्म दिया और जीना सिखाया,
तो दूजी ने जीने की वजह दे दी,
वादा है मेरा, हर मुश्किल आसान सफ़र में
उसके संग बस यूँ ही चलते जाना है !!
हर हाल में एक माँ को दिया वादा निभाना है !!
क्यूंकि बेशक माँ नहीं है आप मेरी,
पर मेरी लिए मेरी माँ से कम नहीं है !!!
आंटी जी, अपना वादा निभाने की पूरी कोशिश कर रही हूँ, और मैं ये भी जानती हूँ कि आप कहीं न कहीं से देख रहे हो !!
अगर अपना वादा निभाने में मुझसे ज़रा सी भी भूल हुई है तो माफ़ कर दीजियेगा! मैं आप जितनी बहादुर नहीं हूँ, इसलिए मुझे अपना आशीष दीजियेगा कि उसी बहादुरी से बस चलती जाऊं, बिना रुके बिना थके और अपने दोस्त का ग़मों का खज़ाना डेबिट और मेरे हिस्से की खुशियाँ भी उसको क्रेडिट कर सकूँ !
और वैसे भी हम दोनों का लिपिक संगठन उस अफसर को ऐसे ही थोड़ी छोड़ देगा !!
आई लव यू आंटी जी !!!!!!!!!!